(1) लघु बीजाणु धानी या माइक्रोस्पोरेंजियम( Microsporangium)-
तरुण परागकोष के अनुप्रस्थ काट में दो पालिया दिखाई देती हैं और प्रत्येक पाली में दो लघुबीजाणुधानी या परागकोष दिखाई देते हैं| अतः प्रत्येक पराग कोष में 4 लघुबीजाणुधानियाँ (परागकोष) होती हैं|
प्रत्येक लघुबीजाणुधानी में कई लघुबीजाणु जनन कोशिकाएं होती हैं| इनके चारों ओर पोषक कोशिकाओं का एक स्तर होता है जिसे टेपीटम कहते हैं| टेपीटम के बाहर की ओर बीजाणुधानी की दीवार होती है जो कोशिकाओं के कई स्तरों की बनी होती है| इसका बाह्य स्तर जो कि एपिडर्मिस के ठीक नीचे होता है, एंडोथीसियम कहलाता है| इसकी कोशिकाओं पर पट्टिकाओं के समान तंतुवत उभार होते हैं| प्रत्येक लघु बीजाणु जनन कोशिका अर्धसूत्री विभाजन द्वारा लघुबीजाणुअों का निर्माण करती हैं|
(2) लघुबीजाणुधानी या परागकोष का परिवर्धन-
परिवर्धन की प्रारंभिक अवस्था में लघुबीजाणुधानी परागकोष की मेरिस्टमैटिक कोशिकाओं से बनी एक रचना होती है| इसके चारों ओर एपिडर्मिस का एक स्तर होता है| इसके बाद यह चार पालिमय हो जाती है जिसकी प्रत्येक पाली में आर्किस्पोरियल कोशिकाओं की एक लंबवत कतार विकसित हो जाती है| आर्कीस्पोरियल कोशिकाओं का कोशिका द्रव्य अन्य कोशिकाओं की अपेक्षा अधिक सघन होता है और इनके केंद्रक भी अधिक स्पष्ट होते हैं| प्रत्येक आर्कीस्पोरियल कोशिका दो कोशिकाओं में विभाजित हो जाती है| इसमें से बाहरी एपिडर्मिस की ओर स्थित कोशिका प्राथमिक भित्तीय कोशिका और अंदर की कोशिका प्राथमिक बीजाणु जनन कोशिका कहलाती है| अब प्रत्येक प्राथमिक भित्तीय कोशिका विभाजन करके कोशिकाओं की 3-5 परतें बना लेती हैं| यह परागकोष या लघुबीजाणुधानी की दीवार बनाती हैं| इसी बीच बीजाणु जनन कोशिका भी विभाजन शुरु कर देती है जिससे मध्य भाग में कई बीजाणु जनन कोशिकाएं बन जाती हैं| भित्तीय कोशिकाओं की सबसे भीतरी परत जो बीजाणु जनन कोशिका से सटी होती हैं टेपीटम बनाती हैं| यह पोषक स्तर है जो वर्धन करते हुए लघुबीजाणुओं का पोषण करता है| एपिडर्मिस के ठीक नीचे स्थित भित्तीय कोशिकाएं एंडोथीशियम बनाती हैं| इसकी कोशिकाओं की भित्तीयां प्रायः तंतुवत रूप से स्थूलित होकर परिपक्व पराग कोष के चारों ओर शुष्क आवरण बनाती हैं| एंडोथीशियम परागकोष के स्फुटन में सहायता करता है| एंडोथीशियम और टेपीटम के बीच कोशिकाओं के 1-3 मध्य स्तर होते हैं| बीजाणुजनन कोशिकाओं में अर्धसूत्री विभाजन के समय टेपीटम व् मध्य स्तर नष्ट हो जाते हैं|
परिपक्व परागकोष की संरचना -
यह कोशिका भित्ति और पराग प्रकोष्ठ से बना होता है| परागकोष की भित्ति विभिन्न परतों से बनी होती है-
(1) बाह्य त्वचा -
यह एक कोशिकीय बाहरी परत है|
(2) एंडोथीशियम -
यह भी एक कोशिकीय परत है परंतु इसकी कोशिकाएं बड़ी होती हैं|
(3) मध्य परतें-
यह 3-5 परतों की कोशिकाएं होती हैं| यह एंडोथीशियम के भीतर की तरफ होती हैं|
(4) टेपीटम -
यह मध्य परतो के बाद लघुबीजाणु मातृ कोशिकाओं से सटी होती हैं| इसका मुख्य कार्य लघुबीजाणु मातृ कोशिकाओं का पोषण करना होता है|
(5)पराग प्रकोष्ठ-
इसमें लघुबीजाणु मातृ कोशिकाओं का निर्माण होता है| मातृ कोशिकाओं में अर्धसूत्री विभाजन के बाद लघुबीजाणु या परागकण का निर्माण होता है|
No comments:
Post a Comment