Biology Mantra: पौधों में निषेचन पश्च घटनाएं या भ्रूणोद्भिद (Post fertilization events or Embryogeny in plants)

Sunday, September 27, 2020

पौधों में निषेचन पश्च घटनाएं या भ्रूणोद्भिद (Post fertilization events or Embryogeny in plants)

पौधों में निषेचन पश्च घटनाएं या भ्रूणोद्भिद (Post fertilization events or Embryogeny in plants)
युग्मक संलयन के बाद भ्रूणकोश में दो संरचनाएं परिवर्धन करना शुरू कर देती हैं| इनमें से द्वितीयक केंद्रक अर्थात प्राथमिक भ्रूणपोष केंद्रक विकसित होकर भ्रूणपोष बनाता है और युग्मनज विकसित होकर भ्रूण बनाता है| भ्रूणकोश के अंदर स्थित प्रतिमुख व सहायक कोशिकाएं निषेचन के शीघ्र बाद ही नष्ट हो जाती हैं|
भ्रूणोद्भिद या भ्रूण का परिवर्धन(Embryogeny or development of Embryo )-
सर्वप्रथम युग्मनज दो असमान कोशिकाओं में बँट जाता है, एक बड़ी आधार कोशिका(basal cell)  तथा दूसरी छोटी शिखाग्र कोशिका(apical cell )|
    आधार कोशिका विभाजनों द्वारा 8-10 कोशिकाओं की एक रचना बनाती है जिसे निलम्बक(suspensor) कहते हैं| जैसे-जैसे निलंबक लंबाई में वृद्धि करता है, यह परिवर्धन करते हुए भ्रूण को भ्रूणकोश के भीतर पर्याप्त दूरी तक धकेल देता है| जहां यह चारों ओर भ्रूणपोष से घिर जाता है| भ्रूणपोष पोषण उत्तक है जो परिवर्धन करते हुए भ्रूण का पोषण करता है| निलंबक की सबसे निचली कोशिका जो कि भ्रूणीय कोशिका के निकट रहती है हाइपोफिसिस कहलाती है| यह विभाजन करके मूलांकुर का अग्रभाग बनाते हैं| इन कोशिकाओं की अगली 4 कोशिकाएं बीजपत्र तथा प्रांकुर बनाते हैं| इस प्रकार युग्मनज बार-बार विभाजित होकर भ्रूण में बदल जाता है|
भ्रूणपोष का परिवर्धन-
भ्रूणपोष एक त्रिगुणित(3n) ऊतक है जो दोहरे निषेचन के बाद त्रिक संलयन द्वारा बने भ्रूणपोष केंद्रक से विकसित होता है|
      भ्रूणपोष का मुख्य कार्य वृद्धि करते हुए भ्रूण को पोषण प्रदान करना होता है|

भ्रूणपोषी एवं अभ्रुणपोषी बीज-
सभी बीजों में भ्रूणपोष नहीं होता| कुछ द्विबीजपत्री बीजों में भ्रूणपोष का समस्त खाद्य पदार्थ बीजपत्रों में आकर इकट्ठा हो जाता है जिससे बीजपत्र मोटे व मांसल हो जाते हैं| इस प्रकार के बीजों को अभ्रुणपोषी बीज कहते हैं| जैसे- चना, मटर, सेम आदि| इसी कारण इन बीजों में भ्रूणपोष नहीं मिलता है| इसके विपरीत कुछ बीजों में खाद्य पदार्थ बीजपत्रों में इकट्ठा होने की बजाय भ्रूणपोष में ही भरा रहता है ऐसे बीजों को भ्रूणपोषी बीज कहते हैं| जैसे- एक बीज पत्री बीजों में|

बीज का निर्माण-
भ्रूण के पूर्ण रूप से विकसित होने पर बीजाण्ड बीज में बदल जाता है| बीजांड में वृद्धि करने के साथ-साथ दोनों बाहरी अध्यावरण सूखकर एक रक्षक आवरण बनाते हैं, जिसे बीज आवरण कहते हैं| इनमें से बाह्य अध्यायवरण को बीजचोल  तथा अंदर के अध्यावरण को टेगमेन कहते हैं|
फल निर्माण-
फल वास्तव में परिपक्व अंडाशय को कहते हैं| अंडाशय की भित्ति, फल भित्ति का निर्माण करती है|
     फल भित्ति को तीन मुख्य भागों में बांटा जा सकता है:-
(1) बाह्य फल भित्ति(Exocarp)
(2) मध्य फल भित्ति तथा (Mesocarp)
(3)अन्तः फल भित्ति (Endocarp)

कभी-कभी अंडाशय के अतिरिक्त पुष्पासन, दलपुंज तथा बाह्यदलपुंज भी फलभित्ति बनाने में सहायता करते हैं| ऐसे फल बिना निषेचन के ही बनते हैं, इसलिए इन्हें असत्य फल भी कहते हैं जैसे- सेब

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