पराग कोष में लघुबीजाणुजनन या कोशिकाओं के अर्धसूत्री विभाजन के बाद बने अगणित लघुबीजाणु या परागकण, नर युग्मकोद्भिद या गैमीटोफाइट की प्रथम संरचना है|
परागकण, परागकोष से मुक्त होने से पूर्व ही अंकुरण करना शुरू कर देता है| इसका केंद्रक समसूत्री विभाजन द्वारा एक बड़े ट्यूब केंद्रक या कायिक केंद्रक तथा एक छोटे जनन केंद्रक में विभाजित हो जाता है| जनन केंद्रक लेंस के समान होता है और दोनों केंद्रक स्वतंत्र रूप से कोशिका द्रव्य में तैरते हैं| परागकण प्रायः इसी अवस्था में परागकोष से मुक्त होकर वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं| इसका और अधिक परिवर्धन वर्तिकाग्र पर पहुंचने पर ही होता है|
जैसे-जैसे परागकण अंकुरण करता है, पराग नलिका किसी एक जनन छिद्र को बेध कर बाहर आ जाती है| इसमें आगे की ओर ट्यूब केंद्र तथा पीछे की ओर जनन केंद्रक होता है| जनन केंद्र समसूत्री विभाजन द्वारा दो नर युग्मकों में विभाजित हो जाता है| जनन केंद्र के पुंयुग्मकों में विभाजन की क्रिया को शुक्रजनन कहते हैं| पुंयुग्मकों के निर्माण के शीघ्र बाद ट्यूब (नलिका) केंद्रक विलुप्त हो जाता है क्योंकि निषेचन में इसका कोई महत्व नहीं होता है| परागकण (लघुबीजाणु) और उसके अंकुरण से बनी परागनलिका को नरयुग्मकोद्भिद या गैमीटोफाइट कहते हैं|
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