Biology Mantra: स्त्रीजननांग या जायांग(Gynoecium or pistil)

Sunday, September 20, 2020

स्त्रीजननांग या जायांग(Gynoecium or pistil)

स्त्रीजननांग या जायांग(Gynoecium or pistil)

(1) स्त्रीजननांग या जायांग   की संरचना  (Structure of Gynoecium or pistil)-
स्त्री जननांगों को जायांग कहते हैं| यह एक या अधिक अंडपो से मिलकर बनता है| एक प्रारूपी अंडप में तीन भाग दिखाई देते हैं: अंडाशय, वर्तिका तथा वर्तिकाग्र| आधार का फूला हुआ भाग अंडाशय कहलाता है इनमें एक या अधिक बीजांड होते हैं| अंडाशय से लगी हुई एक पतली व वृंत के समान वर्तिका होती है| वर्तिका के शीर्ष पर गोल चिपचिपा वर्तिकाग्र होता है| मादा युग्मकोद्भिद बीजांड के अंदर भ्रूणकोष के रूप में विकसित होता है|

(2) बीजांड या गुरुबीजाणुधानी(Ovule or Megasporangium)-
पूर्ण विकसित बीजांड बीजांडवृन्त द्वारा प्लेसेंटा या बीजांडासन से जुड़ा हुआ होता है| जिस स्थान पर बीजांडवृंत बीजांडासन से जुड़ा रहता है नाभिका कहलाता है| बीजांड का मुख्य शरीर बीजांडकाय कहलाता है| यह आवरणो से घिरा होता है जिन्हें अध्यावरण कहते हैं| बीजांडकाय का आधार जहां से अध्यायवरण निकलते हैं निभाग कहलाता है| अध्यावरणो के आधार पर एक छोटा छिद्र होता है जिसे बीजांडद्वार कहते हैं| बीजांडकाय में बीजांडद्वार की ओर दबी हुई अंडाकार रचना होती है जिसे भ्रूणकोश कहते हैं| यह मादा युग्मकोद्भिद को प्रदर्शित करता है|
(3) बीजांडो के प्रकार(Types of Ovules)-
बीजांडद्वार, निभाग एवं बीजांडवृंत के आधार पर बीजांड निम्न प्रकार के होते हैं-
(1) ऑर्थोट्रोपस-       
इस प्रकार का बीजांड सीधा होता है अर्थात इसमें बीजांडद्वार, निभाग तथा बीजांडवृंत तीनों एक ही लाइन में होते हैं|

  (2)एनाट्रोपस-
 इसमें बीजांड उल्टा होता है| यह बीजांडवृंत  के अधिक वृद्धि करने के कारण होता है जिससे बीजांडद्वार नीचे की ओर बीजांडवृंत के पास आ जाता है| इसमें केवल बीजाण्डद्वार तथा निभाग ही एक सीधी रेखा पर स्थित होते हैं|

(3) हेमीट्रोपस-
इस प्रकार के बीजांड में बीजांडद्वार तथा निभाग एक सीधी क्षैतिज रेखा में स्थित होते हैं तथा बीजांडवृंत बीजांड के मध्य में एक समकोण बनाता हुआ जुड़ा रहता है|

(4) कैंपाइलॉट्रोपस- 
इस प्रकार का बीजांड कुछ मुड़ा हुआ होता है इसके फलस्वरुप बीजांडद्वार तथा निभाग दोनों एक सीधी रेखा में न होकर बीजांडवृंत के समीप आ जाते हैं|

(5) एम्फीट्रोपस-
 इसमें बीजांड अनुप्रस्थ अवस्था में बीजांडवृंत के साथ समकोण बनाता है तथा भ्रूणकोष घोड़े की नाल के समान मुड़ जाता है|

(6) सर्सिनोट्रोपस-
 इस प्रकार के बीजांड में बीजांडवृंत लंबा होकर बीजांड को चारों ओर से घेरे रहता है|

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